मंगलवार, 9 सितंबर 2008

नए ज़माने की लड़की

(परिवर्तन जीवन का नियम हैं. चाहे हम किसी परिवर्तन के खिलाफ हों या उसके तरफदार. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. बदलाव चलते रहते हैं. ये ही प्रकृति का नियम है, ये ही जीवन की गति. ऐसे ही एक परिवर्तन को कलमबंद किया है मैंने. उसकी अच्छाई-बुराई हमारी अपनी सोचों पर निर्भर करती है...... जाकिर)

पहली बार
किसी लड़के से
अकेले में मिलने पर
अब उस सोलह साला लड़की का
दिल नहीं धड़कता
न अब उसकी पलकें भारी होती हैं
न चेहरा शर्म से गुलनार
न अब वो मुस्कुराके
अंगुली पर दुपट्टा लपेटती है
न नज़रें नीची किये
अंगूठे से ज़मीन कुरेदती है
शब्द भी
अब उसके गले में नहीं अटकते
वह नए ज़माने कि लड़की है
नए ढंग से प्यार करती है

13 टिप्‍पणियां:

MANVINDER BHIMBER ने कहा…

शब्दों मैं वजन है....भाव भी सुंदर है ......बहुत अच्छे

रंजू भाटिया ने कहा…

:) सही कहा ..अच्छी रचना

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

सब इस बात पर निर्भर करता है कि आप किससे मिल रहे हैं...

तरूश्री शर्मा ने कहा…

अच्छा लिखा है आपने... नया जमाना है नए तौर तरीके भी होंगे। खुशी खुशी स्वीकारें तो भी सच... ना स्वीकारें तो भी सच।

seema gupta ने कहा…

" ha ha ha bhut khub, naya jmana or new ladkee, good description"

Regards

डॉ .अनुराग ने कहा…

अरे जाकिर ....अब हमें अपनी कविता बदलनी पड़ेगी जो हमने कभी लिखी थी.........बहुत खूब......

राज भाटिय़ा ने कहा…

भईया अब लडके शर्माते हे.......
मे तो भागू सभी सुन्दरिया हे यहां तो नये जमाने की.........................................
धन्यवाद

Udan Tashtari ने कहा…

वाह! बहुत उम्दा,बधाई.


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आपके आत्मिक स्नेह और सतत हौसला अफजाई से लिए बहुत आभार.

شہروز ने कहा…

bahut khoob bhai.
kya baat hai.ini saadgi se itni badi baat,kya kahna.
kamal hai kamal.

Smart Indian ने कहा…

बहुत खूब! धन्यवाद!

admin ने कहा…

सही कहा आपने। जब जिंदगी की हर चीज बदल रही है, तो भाव और अभिव्यक्ति के ढंग में भी बदलाव लाजमी है।

राज भाटिय़ा ने कहा…

रमजान की मुबारकवाद आप को ओर आप के सभी जानपहचान वालो को ओर आप के परिवार को

Dileepraaj Nagpal ने कहा…

jinke paas duppata hota hai...wo to ungli per lapetti hain...per duppate waliyon ko naye zamane ki kahne m zamane ko sharm aati h shyed... achi kavita hai aapki...