सोमवार, 1 दिसंबर 2008

अब हमें भी लड़ना होगा!

एक बार फिर दहशत और मौत का खूनी खेल! एक बार फिर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप!
लेकिन इन सबसे अलग, एक बार फिर हमारे बहादुर जांबाजों की विजय.
एक बार फिर हमारे पराक्रम की धूम. एक बार फिर हमारी एकता बरकरार.
एक बार फिर इंसानियत के दुश्मनों की करारी शिकस्त.
लेकिन अब आगे क्या............?
क्या देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ (इन) नेताओं की है?
नहीं!
ये जिम्मेदारी खुद हमारी भी है.
अब हमें खुद भी लड़ना होगा! इस आतंकवाद के खिलाफ!
और इसके लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी है, धर्म और जाति से हटकर, एक इंसान के रूप में हम ये लडाई लडें.
ये भी जान लें कि हमारी लड़ाई मात्र चंद आतंकवादियों से नहीं, बल्कि एक विकृत विचारधारा से है. और आतंकवादियों को मारने के लिए हमें उस विचारधारा को मारना होगा. हमें अपने बीच से इस तरह के विचारों वाले लोगों की पहचान खुद करनी होगी. उनका सामाजिक बहिष्कार करना होगा. उन्हें कानून के हवाले करना होगा! धर्म-जाति ही नहीं, रिश्ते-नातों से ऊपर उठ कर.
जनता में प्यार और भाईचारे का सन्देश फैलाना होगा. ज़हर उगलने वालों को अपने बीच से खदेड़ना देना होगा.
लड़ाई बेशक लम्बी है, लेकिन जीत हमारी ही होगी.
............ अगर हम ऐसा कर पाए तो, ये, आतंकवाद के शिकार, निर्दोष और मासूम लोगों के प्रति हमारी सच्ची shridhaanjli होगी.
और अगर हमने ऐसा नहीं किया तो याद रखिये, आतंकवादियों की एक फौज तेजी से हमारी तरफ भी आ रही है, जिसके हाथों में मौत के (धर्म निरपेक्ष) हथियार है, और जो बिना हिन्दू-मुसलमान के भेद-भाव के सब को मौत बाँटेंगे.

9 टिप्‍पणियां:

शोभा ने कहा…

आप सही कह रहे हैं। यह बात आज हर नागरिक के दिल में है।

Anil Kumar ने कहा…

सुंदर विचार हैं आपके, और मेरी सहमति आपके साथ है! महापुरुष मरेन्द्र मोदी और महापुरुष राज/बाल ‍‍ठाकरे का मै पहले ही बहिष्कार कर चुका हू. लेकिन देख रहा हूँ कि ऐसे तो सभी नेताओं और पार्टियों का बहिष्कार करना पडेगा!

राज भाटिय़ा ने कहा…

आओ हम सब मिल कर लडे, आप की बात बहुत सही है.
धन्यवाद

डॉ .अनुराग ने कहा…

जी हाँ हम एकजुट होकर लड़ेगे तभी इनका मनोबल टूटेगा ......लेकिन लडाई अब करनी ही होगी

Arun Arora ने कहा…

सही कहा जाकिर भाई पर हम अपने इन नेताओ का क्या करे
जिनकी रहबर की रहबरी पर था यकी हमे
वही रहजनो का सरगना निकला

Pawan Kumar ने कहा…

जाकिर हुसैन जी
वाकई सटीक टिप्पणी ...............मुरादनगर कैसा है.

seema gupta ने कहा…

" i respect your thoughts, very well said.."

Regards

Smart Indian ने कहा…

आपके सुलझे हुए विचारों से पहले भी प्रभावित रहा हूँ, ज़ाकिर भाई! सचमुच, इस छल-युद्ध का सामना करने के लिए हमें विवेकशील, संघठित, शक्तिशाली और प्रो-एक्टिव होने की ज़रूरत है.

Sajal Ehsaas ने कहा…

koshish jaari rakhiye...kalam ki awaaz hi soye dilo ko jagaayegi..

bas hungama khada karna mera maksad nahi...shart ye hai ki tasveer badalni chahiye!!


मिर्ज़ा गालिब को उनके 212वीं जयंती पर बधायी दे:
http://pyasasajal.blogspot.com/2008/12/blog-post_27.html