वो लड़की, वो पागल दीवानी-सी लड़की
वो किस्सों में लिपटी कहानी-सी लड़की
वो खेतों में चढ़ती दुपहरी का साया
वो शामों की अल्हड जवानी-सी लड़की
गोबर, पसीने की खुशबू से लथ-पथ
वो पनघट के गीतों की रानी-सी लड़की
मेरी खातिर मौसम की तरह बदलती
वो बर्फ, वो आग, वो पानी-सी लड़की
तालों में खिलती हुई एक कँवल-सी
वो नदियों-सी बहती तूफानी-सी लड़की
अंधेरों में जुगनू की मानिंद चमकती
जमीं पर उतरती आसमानी-सी लड़की
'जवाहर' नक्श आज तक है ज़हन पर
वो ज़ख्मों की हल्की निशानी-सी लड़की
शमा-ए-हरम हो या दिया सोमनाथ का !
14 वर्ष पहले
12 टिप्पणियां:
bhut sundar rachana. badhai ho. likhte rhe.
अपने लड़की का जो चित्र पंक्तियों में खींचा है वह सचमुच शानदार है!
बहुत बढिया। ऐसी कविता बहुत कम पढने को मिलती है। लिखते रहे। वैसे ऐसी लड़की का पता मालूम हो तो बताना। मिलना चाहूँगा। शुध्द भारतीयता की झलक तो दिखा ही दी आपने।
धन्यवाद
सुधीर श्रीवास्तव
मेरी खातिर मौसम की तरह बदलती
वो बर्फ, वो आग, वो पानी-सी लड़की
अच्छा लिखा है आपने.... गहराई से आती आवाज की तरह....
वाह! बहुत उम्दा,बधाई.
अरे वाह ! बहुत सुंदर !
आप सभी का आभार की आपने अपना कीमती समय निकाल कर मेरी पोस्ट पढने
की कृपा की!
उम्मीद है आगे भी आपकी निष्पक्ष राय मुझे मिलती रहेंगी
बहुत ही अच्छी ओर साफ़ सुथरी कविता,
धन्यवाद
अरे वाह, बहुत खूब!
रूमानी जज्बों की दिलकश बयानी है आपकी यह कविता। बधाई।
मेरी खातिर मौसम की तरह बदलती
वो बर्फ, वो आग, वो पानी-सी लड़की
तालों में खिलती हुई एक कँवल-सी
वो नदियों-सी बहती तूफानी-सी लड़की
अंधेरों में जुगनू की मानिंद चमकती
जमीं पर उतरती आसमानी-सी लड़की
आहा ....एक एक लफ्ज़ जैसे सीने में उतर गया ....सुभान अल्लाह.....
जाकिर भाई...क्या बात है....सुभानाल्लाह...बेहतरीन रचना.
नीरज
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