शुक्रवार, 27 जून 2008

चार लाइन

हिंदू भी यहाँ है, मुसलमान यहाँ है
सिख, बोध, जैन और किरिस्तान यहाँ है
लेकिन जिसे खोजता हूँ, वो नहीं है
इंसान कहाँ है?, यहाँ इंसान कहाँ है?

sapnain

सपनों पर प्रतिबन्ध नहीं
अच्छा -बुरा
छोटा -बड़ा
कलर या ब्लैक एंड व्हाइट
जैसी मर्ज़ी देखो
आँखें तुम्हारी हैं
और नींद भी
सपने भी तो तुम्हारे ही हैं
साकार हों
ये जिद क्यों
जिंदगी को नींद में नहीं
जगी हालत में देखो
सपनों से उलट
लेकिन खूबसूरत हैं
सपने तालाब हैं
और जिंदगी
संघर्षों के बहाव में बहने वाली नदी का नाम है .