बुधवार, 8 अक्तूबर 2008

हे राम

विजय दशमी की सभी मित्रों और देशवासियों को बधाई.



हे राम!
एक बार फिर अवतार लो
इस बार तुम्हे एक नहीं,
अनेक रावणों का संहार करना होगा
रावण, जो दिल्ली से कंधमाल
उडीसा से असम तक फैले हैं
अयोध्या और गुजरात
में भी इन्होने तांडव मचाया है
कभी ईश्वर और कभी अल्लाह के नाम पर
हवा में नफरतों का ज़हर घोला है
ये रावण से भी अधिक क्रूर हैं
बलात्कारी और कातिल हैं
इन्हें क्षमा मत करना.
हे राम
एक बार फिर धरती पर आ
इन रावणों से धरती को मुक्ति दिला.............

15 टिप्‍पणियां:

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

एक राम के नाम पर जो कुछ हुआ है...क्या वह कम है...? राम ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उसके नाम पर कभी इतना आतंक मचाया जाएगा, जिसका ज़र्रा बराबर भी क़हर शायद रावण ने नहीं बरपाया था...

Anil Pusadkar ने कहा…

zaakir bhai,aapko bhi shubhkamnayen,aaj ka ravan 10 nahi 10000000000000000 mundiyo waala hai.use marna aasan nahi hai.use marne ke liye aap jaise achchhe insaano ki madad lagegi.khair aaj na sahi kabhi na kabhi to raavan maregaa hi,kyonki adharm jyaada din zindaa nahi rah saktaa.bahut sahi likhaa aapne.

राज भाटिय़ा ने कहा…

जाकिर भाई बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है आप ने,ओर बिलकुल सच, फ़िरदॊस भाई सच मे राम के नाम पर ... लेकिन आज कल इंसान इस ऊपर वाले के नाम पर ही तो कतले आम मचा रहा है, जब कि हम सब का दाता कभी भी नही कहता लडो खुन बहाओ, क्योकि वह एक है, लेकिन जब धर्म दुकान दारी बन जाये तो हर दुकान दार अपनी दुकान चमकाने के लिये दुसर दुकान दार को नीचा दिखाता है, यही तो हो रहा है यह सब, लेकिन लोगो को सोचना चहिये...
धन्यवाद एक अति सुन्दर कविता के लिये
ओर आओ सब मिल कर इस रावण को मारे, सब से पहले तो जो रावण हमारे अन्दर है इसे मारे

दीपक कुमार भानरे ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति .
श्रीमान जी धर्मं और इश्वर नाम पर ही आतंक अत्याचार किए जा रहे हैं , राजनीति की जा रही है . न जाने राम और रहीम की सीखों को क्यों भूलने लगे हैं लोग .
सभी के अन्दर परमात्मा बसता है राम और रहीम बसते हैं . अतः सभी को राम और रहीम बनकर देश मैं सर उठा रहे आतंक और अत्याचार रुपी रावण का बद्ध करना होगा .

नीरज गोस्वामी ने कहा…

आमीन.... जाकिर भाई...बहुत प्यारी रचना है ये आप कि.... हमें शायद आज राम की सख्त जरूरत है...
नीरज

डॉ .अनुराग ने कहा…

हम सब को अपने भीतर के रावण को मारना होगा ....दुर्भाग्य है की वक़्त के साथ रावण का पुतला ऊँचा ओर ऊँचा होता जा रहा है ....फिरदौस शायद आपकी कविता का अर्थ नही समझ पायी ....आप जैसे लोग जब तक है मुझे यकीन है रावण मरेगे .

शेरघाटी ने कहा…

barbas mujhe kaifi aazmi ki nazm-doosra banbas-ka smaran ho aaya.

bhai bahut hi saamyik rachna.
prstuti bhi bahut sundar.

anuraag ji ke vichaar se sahmat hoon.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

हे राम
एक बार फिर धरती पर आ
इन रावणों से धरती को मुक्ति दिला.............
kalyug ka taandav bahut hua,ab phir ram ki pratikshaa hai,
bahut achhi rachna

Satish Saxena ने कहा…

दशहरे के अवसर पर इससे अच्छी रचना सम्भव नही हो सकती, और वह भी भारत माँ के एक मुस्लिम बच्चे ने लिखी ! यह एक शानदार उदाहरण हैं हमारे देश के मुस्लिम भाइयों के प्यार का और जवाब है, कुछ संकीर्ण ह्रदय के लोगो के लिए, जाकिर भाई आपको बहुत बहुत शुक्रिया !

Unknown ने कहा…

राम अगर आए तो रावण का संहार करेंगे. अल्लाह के नाम पर जो कत्ल कर रहे हैं उनका संहार कौन करेगा?

ज़ाकिर हुसैन ने कहा…

आप सब ने अपना कीमती समय इस पोस्ट को पढने में दिया. आभारी हूँ.
पोस्ट की पहली टिपण्णी में फिरदौस खान ने एक सवाल किया है ......
सवाल एक दम सही है, जिसका आधा जवाब तो खुद फिरदौस ने ही दे दिया कि राम के नाम पर बहुत लोग मारे गए, यानी उन्हें राम ने नहीं, उसके नाम की आड़ लेकर रावणों ने ही मारा. रहा बाकी जवाब,........... तो माफ़ी मांगते हुए मैं कहना चाहूँगा कि अकेले राम के नाम पर ही नहीं, अल्लाह (यहाँ तक कि सिया-सुन्नी में तो एक जरा सी बात पर भी), God (रोमन और केथोलिक के बीच भी ) के नाम पर भी अक्सर क़त्लो-आम होता रहा है. और क़त्लो-आम किसी के नाम (खासकर अल्लाह, ईश्वर या God के नाम पर) पर भी हो, निंदनीय ही होना चाहिए.
.......................................................
रहा मान्यवर सुरेश चन्द्र गुप्ता जी का सवाल तो उनसे कहना चाहूँगा कि आप अल्लाह (ईश्वर) में यकीन रखिये, वो अपने नाम पर निर्दोष और बेगुनाहों के कत्लों-आम को रोकने के लिए भी किसी पैगम्बर को भेजेगा या कुछ न कुछ करेगा ज़रूर.

Smart Indian ने कहा…

बहुत सुंदर, ज़ाकिर भाई, धन्यवाद!

Vinay ने कहा…

दीपावली के पावन पर्व पर आपको हार्दिक बधाई!

Vinay ने कहा…

फ़िरदौस साहब किसने किसके नाम पर क्या मचाया अब मुँह न खुलवाओ!

सुधांशु ने कहा…

ajib bat hai hanesha viprit paristhition me jab v atyachar badh jata hai.. manushya ki shrijanatamakta na jane kyun manushya se itar kuchh khojne lagti hai bhai ka prayas bhi sarahniye hai.....